In a grand celebration of literature and history, the Singhbhum District Bhojpuri Sahitya Parishad unveiled a monumental work by Arvind Vidrohi, titled ‘Jalti Rahe Mashal’, at Bhojpuri Bhavan, Golmuri. This literary piece is not merely a book; it’s a beacon that illuminates the lives and struggles of those unsung heroes of India’s freedom movement, whose tales have seldom found their place in mainstream narratives.
A Journey Through Time
Arvind Vidrohi, a name synonymous with democratic poetry, has once again bridged the past with the present, offering us glimpses into the lives of ordinary people who became extraordinary freedom fighters. Through ‘Jalti Rahe Mashal’, Vidrohi brings to life the narratives of those who, without a second thought, laid everything on the line for the dream of an independent India.
The Legacy Lives On
The book launch was not just an event, but a congregation of minds and souls touched by the valor of those who fought for India’s freedom. Esteemed guests like Dr. Angad Tiwari and Dr. Ashok Avichal discussed the impactful themes and stories encapsulated within the book. Dr. Avichal, in his address, highlighted the lasting legacy of the Vidrohi family, emphasizing their unwavering dedication to the nation’s freedom and welfare.
The Torchbearers
Among the dignitaries were Arvind Vidrohi’s son, Satyendra Kumar, who extended a heartfelt welcome to the attendees, and Uday Pratap Hayat, who skillfully conducted the event, expressing gratitude towards the organizers and the assembled guests, including luminaries like Kumar Kaushal and Jaiprakash Rai.
The essence of ‘Jalti Rahe Mashal’
‘Jalti Rahe Mashal’ serves as a poignant reminder of the sacrifices made by the ordinary men and women who fought valiantly for India’s independence. Their stories, as narrated by Vidrohi, are a testament to the indomitable spirit and unwavering commitment of these heroes.
हिंदी में ब्लॉग पोस्ट:
गोलमुरी के भोजपुरी भवन में सिंहभूम जिला भोजपुरी साहित्य परिषद द्वारा आयोजित एक भव्य साहित्यिक और ऐतिहासिक उत्सव में, अरविंद विद्रोही की ‘जलती रहे मशाल’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। यह पुस्तक केवल एक किताब नहीं है; यह उन अज्ञात नायकों के जीवन और संघर्षों को प्रकाशित करता है, जिनकी कहानियाँ शायद ही मुख्यधारा के नरेटिव्स में अपनी जगह पाती हैं।
समय के साथ यात्रा
अरविंद विद्रोही, जिन्हें लोकतांत्रिक कविता के साथ पर्याय माना जाता है, ने एक बार फिर से अतीत और वर्तमान को जोड़ा है, हमें उन साधारण लोगों की झलकियाँ प्रदान की हैं जो असाधारण स्वतंत्रता सेनानियों में बदल गए। ‘जलती रहे मशाल’ के माध्यम से, विद्रोही ने उन लोगों की कहानियों को जीवंत किया है, जिन्होंने बिना किसी दूसरे विचार के, स्वतंत्र भारत के सपने के लिए सब कुछ दाँव पर लगा दिया।
विरासत जीवित है
पुस्तक विमोचन का आयोजन केवल एक इवेंट नहीं था बल्कि एक ऐसी सभा थी जहाँ दिमाग और आत्माएँ एकत्र हुईं, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों के साहस से प्रेरित हुईं। माननीय अतिथियों जैसे कि डॉ. अंगद तिवारी और डॉ. अशोक अविचल ने किताब में समाहित प्रभावशाली थीम्स और कहानियों पर चर्चा की।
मशाल धारक
इस आयोजन में अरविंद विद्रोही के पुत्र, सत्येंद्र कुमार, ने उपस्थित लोगों का हार्दिक स्वागत किया, और उदय प्रताप हयात ने कुशलतापूर्वक इवेंट का संचालन किया, आयोजकों और उपस्थित अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
‘जलती रहे मशाल’ का सार
‘जलती रहे मशाल’ उन साधारण पुरुषों और महिलाओं द्वारा किए गए त्यागों की एक मार्मिक याद दिलाता है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी। विद्रोही द्वारा सुनाई गई उनकी कहानियाँ, इन नायकों की अटूट भावना और राष्ट्र के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं।
Multiple Choice Questions (MCQs):
- What does ‘Jalti Rahe Mashal’ focus on?
- A) Modern technological advancements
- B) Lives of ordinary freedom fighters
- C) Fictional stories of a future India
- D) Biography of Arvind Vidrohi
- Who conducted the proceedings of the book launch?
- A) Dr. Ashok Avichal
- B) Satyendra Kumar
- C) Uday Pratap Hayat
- D) Kumar Kaushal
- Which city hosted the launch of ‘Jalti Rahe Mashal’?
- A) Mumbai
- B) Delhi
- C) Golmuri
- D) Patna